स्वास्थ्य-आनन्द-ज्ञान मंदिर

स्थापना का उद्देश्य – स्वस्थ जीवन शैली , खेल-कूद एवं गीत-संगीत का आनन्द उठाते हुए बच्चों तथा व्यस्कों का ज्ञानवर्द्धन कर जागरूक एवं समृद्ध समाज बनाने हेतु हर संभव प्रयास करना।

संस्था का संकल्पः शिक्षित, समृद्ध, स्वस्थ, सजग और सुन्दर। हर परिवार हर नगर।।

शिक्षितः

संस्था का मानना है कि, व्यक्ति समाज एव राष्ट्र के विकास में शिक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा के विविध आयामों द्वारा गरीबी और बेरोजगरी से निपटने के साथ ही एक समृद्ध एवं मजबूत राष्ट्र की परिकल्पना को साकार किया जा सकता हैं। संस्था द्वारा समाज के हर तबके खासकर पिछडे समाज के बच्चों , युवाओं तथा महिलाओं के शिक्षण, उसका अनुश्रवण,मार्गदर्शन एवं मोटिवेशन द्वारा समग्र शैक्षिक विकास हेतु हर संभव प्रयास करना।

समृद्धः

परिवार एव समाज तथा अन्ततः देश के हर नागरिकों/ परिवारों को विभिन्न कौशल एवं रोजगार के लिए दक्ष बनाकर उन्हें विविध क्षेत्रों के लिए मानव संसाधन एवं श्रम का सर्वोत्तम उपयोग कर गरीबी रेखा के नीचे बसर करने वालों की गरीबी का स्थायी निदान करने हेतु कारगर प्रयास करना ।

स्वस्थ

देश के विकास हेतु वहाँ के गरीब-से-गरीब नागरिकों , खास कर बुजुर्गों बच्चों एवं महिलाओं का स्वस्थ रहना आवश्यक है। सुदूर क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार के साथ ही सबों के स्वस्थ रहने, बीमारियों से निपटने हेतु घरेलु, प्राकृतिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने, उन्हें खान-पान, साफ-सफाई एवं स्वच्छता के महत्व को समझाने, विभिन्न रोगों के पहचान एव इलाज हेतु आवश्यक प्रबंध कर सबों को स्वस्थ बनाने हेतु संस्था द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।

सजग

बच्चों की पढ़ाई महिलाओं एवं बुजुर्गों के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा, जल-जंगल, जमीन एवं पर्यावरण के प्रति जो व्यक्ति/समाज सजग नहीं रहेगा उसका वर्त्तमान एवं भविष्य अंधकारमय हो सकता है। साम्प्रदायिकता, धर्मान्धता, अंधविश्वास, पाखंड एवं विकास में बाधक रूढ़ीवादिता से निपटने हेतु हर-पल सजग रहते हुए फिरकापरस्त ताकतों को नाकाम कर सामाजिक सौहार्द बढ़ाने हेतु संस्था द्वारा हर संभव कार्य करना।

सुन्दरः

मानव के आन्तरिक एवं वाह्‌य जगत को सुन्दर बनाने हेतु शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं साहचर्य की समझ तथा महत्व को घर-घर पहुंचाना। घरेलु उपयोग हेतु पोलीथीन के उपयोग को हत्तोत्साहित एवं अन्ततः बन्द कर, भूमि, जल, एवं सम्पूर्ण पर्यावरण को अधिकाधिक मानवोपयोगी एवं सुन्दर बनाने हेतु हर संभव कार्य करना ।